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Showing posts with the label Brahmin life

वर्तमान समय प्रमाण सेवा का स्वरूप

  ये ऐसा है, वो वैसा है.. अरे  इसमें तुम्हारा क्या जाता, तुम्हें तो बाप को याद करना है. बुद्धि में पुराने संस्कारो की कोई खिट पिट नहीं कोई पद/पृतिष्ठा की दौड़ नहीं. सभी के लिए शुभ भावना, श्रेष्ठ कामना. मुक्ति जीवन मुक्ति की ऊंची स्थित, फरिश्ता जीवन अभी अभी यहाँ अभी अभी वहाँ.second  में जीवनमुक्त.बुद्धि सदा बेहद में स्थित.एक मेरा बाबा, एक मेरा बेहद लक्ष्य, दैवी गुणों से श्रृंगार.सरलता और निमार्णता. आज विश्व को क्या चाहिए, झूठे दिलासे सुन कर, बड़ी बड़ी लबार सुन कर सब थक गए है, सभी क्या चाहते अभी.. अनुभव. सुन चुके बहुत अभी देखना चाहते है जो दिल से निकले हमारे रक्षक, हमारे सहारे दाता,हमारे इष्ट आ गए.  दो मीठे बोल ,रूहानी दृष्टि , भासना देना, यह फास्ट गति की सेवा अभी सबको करनी है, इसमें कोई खर्चा नहीं मेहनत नहीं सिर्फ बुद्धि की पवित्रता और बाप से clear connection  चाहिए.

Aatma vishleshan

Ander sab khazana hai..  Shubh chintak ki.. Apno ki pehchaan hai? Heero ki pehchaan hai? Preet nibhani aati hai? Vafaadaari kya hai? Shreshta kya hai? Saccha saathi kon hai? Dil tez hai ya dimag? Lootna hai..(baap ke khazane ko, doosro ki respect ko, opportunities ko..ya avinashi gyan, gun, shaktiyon ko) Dhoondhna hai(bada banne ke mauke ko,naye khushi ke khilone ko, kisi ki galtiyon ko ya apne sudhar ke tareeko ko) Churana hai(kisi ke chain ko apne vyavhaar se, kisi ki khushi ko apni activity se, kisi ke haq ko ya kisi ke guno ko)Hisaab rakhna hai.. (Faida nuksaan ka ya apne ulte sankalpon ka.. ) Asli sewa kya hai.. Mat pita ke charno mein.. Ghar mein. Charity begins at home. Ghar wale pyaase aur hum bahar walo ko bhar rahe. Kaisa ajeeb lobh hai ye ,kaisi ajeeb bhukh hai ye maan shaan ki. Kaisi chah hai ye status ki..Kya pa rahe hai hum.. Swayam ko hi thag rahe.. Khud ko hi dhokha de rahe.. Khud se hi jhooth bol rahe.. Doosro ko toh de nai sakte. Kya paaya.. Aur kya kho rahe hai

दोस्त कैसा हो

दोस्त ऐसा हो जो  सहारा दे, साथ दे, दिल की बात सुने ! दिल को सुकून दे, हमारी ख़ुशी में खुश हो! हमारा सच्चा शुभ चिन्तक हो! हमें राह दिखाएं! हमारा मार्ग प्रशस्त करें! हमें सम्मान दे, हमें ऊँची दृष्टि से देखें! हमारे विश्वास को बढाएं! दोस्त वो जो  सदा बाहें पसारे स्वागत करें, ऊँचा उठाएं!

हे आत्मा अब फरिश्ता बन

बहुत प्यासे हैं, (स्नेह के, एक झलक के, दर्शन के) भटक रहे हैं! आपको ढूंढ रहे हैं! पुकार रहे हैं! दो शब्द सुनने के चात्रक हैं! आप धरती के सितारे हो! सबकी मनोकामनाएं पूर्ण करने वाले हो! क्या इतना महत्त्व समझते हो अपना या अभी तक पुरुषार्थी हो! क्या अंत तक पुरुषार्थी ही रहना हैं ! क्या सम्पूर्ण त्यागी, सर्व वंश (यानी अंत में बनना हैं, आज दृष्टि ठीक की, कल वृत्ति ठीक की, परसों बोल ठीक किया ----- ! सम्पूर्ण त्याग से सम्पूर्ण स्मृति स्वरुप से सम्पूर्ण नष्टोमोहा और बाप के सम्पूर्ण अधिकार पाना, क्या इस राज को ठीक रीति समझा हैं! या मेहनत ही करते रहेंगे अंत तक ! संगम युग पुरुषार्थ का समय और सतयुग प्रालब्ध का ऐसे तो नहीं समझते! आप ही हो न नयी दुनिया की झलक दिखाने वालें! दुनिया आप फरिश्तो  को ढूंढ रहीं हैं, कब आयेंगे हमारे रक्षक, हमारे सहायक ।

ज्ञान का सार

ज्ञान का सार 1.     दान देने से बढ़ता है। 2.     क्षमा-दया – सुखी रखना। 3.     जीवन में अनुभवों से जो सीखता वह आगे बढ़ता। 4.     पुण्य कर्म/श्रेष्ठ कर्म/निस्वार्थ कर्म ही मनुष्य की सबसे बड़ी पूंजी है। 5.     जीतना है तो दिलों को जीतो , छोड़ना है तो अंहकार को छोड़ों। 6.     बदलना है तो खुद को बदलो। 7.     सफलता मिल जाए तो बहुत खुश मत हो जाना , असफलता मिले तो निराश मत होना , यह जीवन हार-जीत , सफलता-असफलता , सुख-दु:ख का खेल है। 8.     आगे बढ़ने के लिए कभी झूठ , ठगी , छीनना , लूटना , रौंदना यह रास्ता सही नही है। 9.     ऊंचा उठने के लिए कभी किसी को नीचा नही दिखाना। 10. अपने गुणों की , अपने महान कार्यों की , महीमा की आशा नहीं रखना , वर्णन करने में महानता नहीं। मुख में अग्नि का वास होता है। 11. जो आपके पास है वह एक अच्छा जीवन सम्मानपूर्वक जीवन जीने के लिए बहुत है। 12. अपने आप से तुलना मनुष्य को आगे बढ़ाती। 13. सर्व को सम्मानपूर्वक दृष्ट‍ि से देखना , मानव मात्र को सम्मान करना , सर्व के माननीय बनना है।

मुक्ति का सहज मार्ग

अदब से चलना है, दैवी फसीलत को याद रखना है। मीठा बनना है। प्यार से चलना है सबसे। छोटे बड़े की समझ रखनी है, सीखना है अपने से आगे वालो से। समय बचाना है, वैरीफाई कराना है हर बात मे हम कहा ं तक ठीक है, और क्या ऐसा परिवर्तन करे जो मार्ग सहज हो जाए और मेहनत से छूट जाए। मत लेनी है। बाप का मददगार बनना है, जिम्मेवार बनना है, श्रीमत को गंभीरता से समझना है, पीहर घर ससुर घर दोनों का कल्याण करना, अंदर बाहर एक रहना है, अनेक जन्मों के हिसाब को समझना है, एक दम साधारण बनना है, बनावट दिखावा छोड़ देना है, सीधी सच्ची बात करनी है, वाणी में महसूसता भरनी है,सभी आत्माओं का अपने जीवन में महत्व समझना है, उन्हें दिल से शुक्रिया करना है और अपनी भूलों की क्षमा याचना करनी है,,,,,,,,, जैसे कह सकते हम आपको समझ नहीं पाए, आपने बचपन से हमें ठीक राय दी, हम अपनी धुन में रहें, आज हमने घर की वैल्यू, अपनों की वैल्यू,अच्छे कर्म की वैल्यू ,अपनी विशेषता की वैल्यू को हमनें जान लिया है , हमें सब कुछ रिएलाइज कराने वाला, ऊँची समझ देने वाला एक परमात्मा बाप है,वो ही समोच्च है, उन्हें याद करने से हमारा हृदय शुद्ध होता है, हमारी

परमात्मा के विषय में जागरूकता

परमात्मा के  विषय में भ्रान्तियाँ:- सुख दुख वही देता है। वो चाहे तो किसी को राजा बना दे, वो चाहे तो किसी को रंक बना दे। यह कहकर हम अपने कर्मों की जिम्मेवारी से छूट जाते, चाहे पहले जन्मों की, चाहे अब श्रेष्ठ कर्म के जो पुराने खाते को खत्म कर सकते हैं उसकी। हम यह भूल जाते है की भाग्य लिखने की कलम कर्म है जो हमारे हाथ में है।वर्तमान श्रेष्ठ कर्मो में इतनी शक्ति है कि वह हमारे पिछले विक्रमी को दग्ध करने की शक्ति रखते है। एक मनुष्य आत्मा अथवा अन्य प्राणीयों में यही मुख्य अंतर है कि मनुष्य आत्मा विचारशील है, उसमें रचना करने की शक्ति है। मन को सुमन बनाना और बुद्धि को ऊंच श्रेष्ठ बनाना यह मनुष्य के अपने ही हाथ में हुआ। बुद्धि की निर्णय शक्ति और परख शक्ति के द्वारा हम चयन कर सकते है  कि जीवन में आने वाली परिस्थितियों मे क्या प्रतिक्रिया करें जिससे हम से कोई नये विकर्म न बनें। हमें परमात्मा ने ज्ञान दिया, श्रेष्ठ मत दी, कर्मों की गुहा गती समझाई। कर्म अ। कदम कदम पर हमें राह दिखाई। हमें दिव्य बुद्धि दी। सद् विवेक दिया। हमारा मार्ग निष्कंटक किया। हमें प्रत्यक्ष फल की प्राप्ति कराई। ह

Jaisa Samay Waise Swaroop

Jaisa Samay Waisa Swaroop Deivi chalan, ek ne kaha doosre ne            maani, mutual agreement. Difference of opinion brought to one common opinion seeing the scope of vast world transformation to be brought. 1.Swayam ka sudhar, egoless. 2.work flow efficient, karya nirvighan, fast, teevra gati.productive.result oriented Sewa. 3.Family life to be created(pravriti,Mata pita, bhai, behn)United... Bonded.Preet. Ghar mein living simply. Doesn't matter, kiski mani jaye.. Karya achha hona chaiye. Treasure of positive thoughts ready.. Kya badi baat hai.. Kisi  ko zada pta hai jis subject mein wo veh kar rha, hume sahyog dena hai.. Pyar se chalna hai.. Regard dena hai.. Hume apni visheshtaon ka sahyog dena hai. Koi comparison nai... Chhota bada nai.... Tera mera nai.. Hume respect karni hai doosre ki sewa bhavna ki, time ki, upasthiti ki..kadar rakhni hai doosre ke samay, shvaas, sankalp, bol roopi khazane ki, baar baar mehnat nai leni hai... Kuchh karke dikhana hai... Naaz

वर्तमान समय अनुसार श्रेष्ठ स्मृति और स्व परिवर्तन

इस ब्राह्मण जीवन में कई बार चलते चलते कई प्रश्नो में मन घिर जाता है,आज हम उन्ही पर कुछ चर्चा करेंगे। जीवन में बोझ  का कारण क्या है ,आखिर भी क्या सेवा करे और किसकी सेवा करें जो हलके सेहतमंद और सफलता मूर्ति रहे। बाबा कहते है तुम आत्माओं  का कनेक्शन प्रकृति से निरंतर है ,आत्मा ने पाप पुण्य शरीर द्वारा ही किये है तोह फल भी शरीर द्वारा ही आत्मा भोगती है ,और कर्म एक ऐसी चीज़ है जो निरंतर  आआत्स््स््स््स््स्स्स्् जुड़ा हुआ है ,तौर याद भी ऐसी चीज़ है जो आत्मा से निरंतर जुडी हुई है ,आत्मा किसी न किसी बात को ,किसी न किसी स्मृति को याद ज़रूर करती है. तो क्यों न अपने कर्म और स्मृतियों को ऊँचा उठा ले और सहेज योगी बन इस शरीर रुपी प्रकृति सहित आत्मा को पावन  बना दे.अब अगला प्रश्न उठता है कौन से ऐसे कर्म करे ाजो ऊंच कहलाए और कोनसी ऐसी स्मृति हो इस दुनिया से पार ले जाए?कर्मो का चयन बहुत सरल है जिसमे हमारे अपने रोज़मर्रा के निजी कर्म के साथ जो भी हमारे सम्बन्ध संपर्क में आता है उसकी सतुष्टता उनको हमारे द्वारा कोई न कोई ईश्वरीय गुण  की अनुभूति ,जो ही उनकी उन्नति का मार्ग खोलेगा,हिम्मत दिलाएगा,स्वमान बढ़