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Showing posts from September, 2020

वर्तमान समय प्रमाण सेवा का स्वरूप

  ये ऐसा है, वो वैसा है.. अरे  इसमें तुम्हारा क्या जाता, तुम्हें तो बाप को याद करना है. बुद्धि में पुराने संस्कारो की कोई खिट पिट नहीं कोई पद/पृतिष्ठा की दौड़ नहीं. सभी के लिए शुभ भावना, श्रेष्ठ कामना. मुक्ति जीवन मुक्ति की ऊंची स्थित, फरिश्ता जीवन अभी अभी यहाँ अभी अभी वहाँ.second  में जीवनमुक्त.बुद्धि सदा बेहद में स्थित.एक मेरा बाबा, एक मेरा बेहद लक्ष्य, दैवी गुणों से श्रृंगार.सरलता और निमार्णता. आज विश्व को क्या चाहिए, झूठे दिलासे सुन कर, बड़ी बड़ी लबार सुन कर सब थक गए है, सभी क्या चाहते अभी.. अनुभव. सुन चुके बहुत अभी देखना चाहते है जो दिल से निकले हमारे रक्षक, हमारे सहारे दाता,हमारे इष्ट आ गए.  दो मीठे बोल ,रूहानी दृष्टि , भासना देना, यह फास्ट गति की सेवा अभी सबको करनी है, इसमें कोई खर्चा नहीं मेहनत नहीं सिर्फ बुद्धि की पवित्रता और बाप से clear connection  चाहिए.

श्रेष्ठ कर्म

 कौन से कर्म श्रेष्ठ है. जिसमें कोई मिलावट नहीं,  जो निस्वार्थ है, जिन कर्मों का भाव कर्म करता के आगे स्पष्ट है.कहआ भी जाता है, दुनिया तुम्हें तुम्हारे दिखावे से जानती है, परमात्मा तुम्हें तुम्हारीं से नीयत से जानता है.उससऐ कुछ नहीं छुपता.वओ जानीजाननहार नहीं है पर फिर भी सब जानता है, यह ड्रामा बड़ा ही एक्योरेट बना हुआ है, इसमें किसी के साथ अन्याय हो नहीं सकता.जओ नं लास्ट बना है, उसे ही नंबर फस्ट जाना है, इस अटल भावी को कोई टाल नहीं सकता.84 जन्मों का हिसाब है.इसनऐ ही औलाद राउंड चक्कर लगाया है, अभी अंत में आकर खड़ा हुआ है.इसऐ ही पूरा अनुभव है गुरु ओं का भी अनुभव है, राजआई का भी अनुभव है,गाँवडऐ का भी अनुभव है तो गृहस्थ का भी अनुभव है भक्ति का भी अनुभव है तो उन तीर्थ ओ का शास्त्रों का, जप, तप माला फेरना, यज्ञ रचना, दान पुण्य करना, वेद शास्त्र पढ़ना, बा्हण खिलाना, कथा करना, मुर्ति पूजा करना, भोग लगाना, देवियों का ऋंगार करना, नाच तमाशे करना, बड़ा बड़ा आवाज करना, पूछ वाला हनुमान, सूंड वाला गणेश, 8हआथओ वाली देवियाँ कोई वास्तव में होती नहीं है. कोई शंकर ने कथा नहीं सुनाई पारवती को सूक्ष्म वतन म

वाह जिंदगी वाह

  वाह जिंदगी वाह सुबह जल्दी उठो,मुस्कुराओ,नया दिन,भगवान का शुक्रिया करो,सैर पर निकलो। वाह प्रकृति बाहें पसारे हमारा स्वागत कर रही है।पंछी सब चहक रहे है। वाह भगवान ने हमें कितना अच्छा शरीर दिया और जिसे चलाने के लिए फल सब्जियां अनाज भी दिया।शरीर को उपयोग करते जाओ तो वह चलता है और अगर आलस्य हो तो वह खराब हो जाता है फिर उसे न अपने लिए उपयोग कर सकते न दूसरों के लिए। इसी तरह बुद्धि भी उपहार में दे दी उसे जैसे चाहे उपयोग करो सकारात्मक या नकारात्मक  सब हमारे हाथ मे है। इतनी आसान जिंदगी को हमने ही इतना मुश्किल बना दिया। वाह वाह जैसी जिंदगी को हमने ईर्ष्या,द्वेष,प्रतिस्पर्धा,तनाव ,आलस आदि मनोविकारों  में आकर हमने हाय हाय बना दी और तन/मन दोनों को कमजोर कर दिया।अपने जीवन को मुश्किल बना दिया। पढ़ाई के बोझ ने बच्चों के दिमाग की बत्ती गुल कर दी और वह सकारात्मक सोचना ही भूल गए। बचपन और जवानी दोनों  दाव पर लगा दी। डर जीवन का हिस्सा बन गया कि कुछ न बन पाए तो क्या होगा। हल्का रहना तो जैसे भूल ही गए। यह भूल गए कि हल्का रहकर लक्ष्य को पाना ज्यादा आसान है। इतनी अच्छी जिंदगी को हमने बोझ बना दिया।  इसके लिए  म

आत्मा निर्लेप नहीं है

  आत्मा निर्लेप नहीं है... जो खाते, जो बोलते, जो सोचते, हर बात का हिसाब बनता है अवश्य. रिकॉर्ड होता है सब कुछ, अपने पास ही लौट कर आता है, आत्मा सत है चैतन्य है, महसूस करती है ज़रूर गलत करने पर इसलिए कहते है स्वयं ही स्वयं पर रहम करो क्योंकि परमात्मा हमको सज़ा नहीं देता, हम खुद ही पश्चाताप करें बगैर स्वयं को माफ नहीं कर पाते,यहीं कारण होता है आत्मा के अनेक जन्म लेने का और गभ्र जेल मे उतरने का.आत्म खुद अपने जंन्म निर्धारित करती है, कि इस इस स्थान पर, इन इन आत्माओं के साथ उसें आना है इसीलिए कहा जाता है बना बनाया ड्रामा.हमनऐ ही बनाया है अपनी इच्छा शक्ति (will power) के द्वारा , इसलिए इसे अच्छे से अच्छा निभाओ अच्छा पार्ट बजा के, ताकि पुरआनआ हिसाब चुक्तू भी हो जाए और नया अच्छा पार्ट भी भर जाए भविष्य के लिए इसिलिए चुकाते समय बढ़े ही प्यार से खुशी से हल्के होकर.यह नया रिकॉर्ड भरने का समय है तो अच्छा ही भरना चाहिए न. यह ईश्वरइय पढ़ाई नयी दुनिया के लिए है, नये संसकार भरने के लिए पढ़ाई है, और पढ़ाई से सुख भी मिलता है तो पद मिलता है. ऊँ शान्ति