सच्ची उपासना और पूजा क्या है। हर व्यक्ति को अपनी विधि से पूजा का अधिकार है और भगवान को सभी की पूजा स्वीकार्य है। वास्तव में सच्ची उपासना है समाज मे शांति स्थापित करना, संसार से दीनता,भूख और हिंसा को दूर करना ।भेदभाव, अनादर और उपेक्षा भी हिंसा की श्रेणी में आते है। शिवलिंग पर दूध अर्पित करने की बजाय यह दूध उपेक्षित शिशु को मिले यह सच्ची उपासना है क्योंकि यदि जीव व्यथित है तो शिव कैसे प्रसन्न हो सकते है हम सब उनकी सन्तान है। जल शरीर का संचालक है इसके अभाव में मनुष्य और पशु पक्षी व्यथित होते है। तो जल का सर्वोत्तम उपयोग शिवलिंग पर अर्पित करना नही।बेलपत्र और धतूरा शिव को अति प्रिय है ।परंतु उसका अर्थ है मनुष्य अपनी बुराइयां शिव को अर्पित करे। भगवान की सच्ची उपासना उसके समीप आकर उन जैसा बनना। समीप वही आ सकता जो पवित्र है। फिर सिमरन करो तो वो सुनता है। पुकारो तो आता है। पूजा तो माध्यम है याद का। उपासना वही है जिसमे वह अपने को अपने आराध्य से अलग न समझे कोई अपवित्र विचार न हो, प्रेमपूर्ण ह्रदय हो तो वह समीप है.हर क्षण प्रेमपूर्ण रहे यह तभी संभव है जब वो अपने को पहचाने और पहले स्वयं से प्रेम