https://evirtualguru.com/hindi-essays/ भावना से कर्तव्य ऊंचा है Bhavna se Kartavya uncha hai संसार में असंख्य प्राणी हैं। उनमें सर्वाधिक और विशिष्ट महत्व केवल मनुष्य नामक प्राणी को ही प्राप्त है। इसके मुख्य दो कारण स्वीकार किए जाते या किए जा सकते हैं। एक तो यह कि केवल मनुष्य के पास ही सोचने-समझने के लिए दिमाग और उसकी शक्ति विद्यमान है, अन्य प्राणियों के पास नहीं। वे सभी कार्य प्राकृतिक चेतनाओं और कारणों से करते हैं, जबकि मनुष्य कुछ भी करने से पहले सोच-विचार करता है। दूसरा प्रमुख कारण है मनुष्य के पास विचारों के साथ-साथ भावना और भावुकता का भी होना या रहना। भावना नाम की कोई वस्तु मानवेतर प्राणियों के पास नहीं हुआ करती। भावनाशून्य रहकर वे सिर्फ प्राकृतिक नियमों से प्रेम, भय आदि का प्रदर्शन किया करते हैं। स्पष्ट है कि ये ही वे कारण हैं, जो मानव को सृष्टि का सर्वश्रेष्ट प्राणी सिद्ध करते हैं। मानव जीवन में जो कुछ भी सुंदर, अच्छा और प्रेरणादायक है, वह भावनाओं के कारण या भावना का ही रूप है। मानव-जीवन में जो भिन्न प्रकार के संबंध और पारस्परिक रिश्ते-नाते हैं, उनका आधारभूत कारण भी भ