वाह जिंदगी वाह सुबह जल्दी उठो,मुस्कुराओ,नया दिन,भगवान का शुक्रिया करो,सैर पर निकलो। वाह प्रकृति बाहें पसारे हमारा स्वागत कर रही है।पंछी सब चहक रहे है। वाह भगवान ने हमें कितना अच्छा शरीर दिया और जिसे चलाने के लिए फल सब्जियां अनाज भी दिया।शरीर को उपयोग करते जाओ तो वह चलता है और अगर आलस्य हो तो वह खराब हो जाता है फिर उसे न अपने लिए उपयोग कर सकते न दूसरों के लिए। इसी तरह बुद्धि भी उपहार में दे दी उसे जैसे चाहे उपयोग करो सकारात्मक या नकारात्मक सब हमारे हाथ मे है। इतनी आसान जिंदगी को हमने ही इतना मुश्किल बना दिया। वाह वाह जैसी जिंदगी को हमने ईर्ष्या,द्वेष,प्रतिस्पर्धा,तनाव ,आलस आदि मनोविकारों में आकर हमने हाय हाय बना दी और तन/मन दोनों को कमजोर कर दिया।अपने जीवन को मुश्किल बना दिया। पढ़ाई के बोझ ने बच्चों के दिमाग की बत्ती गुल कर दी और वह सकारात्मक सोचना ही भूल गए। बचपन और जवानी दोनों दाव पर लगा दी। डर जीवन का हिस्सा बन गया कि कुछ न बन पाए तो क्या होगा। हल्का रहना तो जैसे भूल ही गए। यह भूल गए कि हल्का रहकर लक्ष्य को पाना ज्यादा आसान है। इतनी अच्छी जिंदगी को हमने बोझ बना दिया। इसके लिए म