आत्मा निर्लेप नहीं है... जो खाते, जो बोलते, जो सोचते, हर बात का हिसाब बनता है अवश्य. रिकॉर्ड होता है सब कुछ, अपने पास ही लौट कर आता है, आत्मा सत है चैतन्य है, महसूस करती है ज़रूर गलत करने पर इसलिए कहते है स्वयं ही स्वयं पर रहम करो क्योंकि परमात्मा हमको सज़ा नहीं देता, हम खुद ही पश्चाताप करें बगैर स्वयं को माफ नहीं कर पाते,यहीं कारण होता है आत्मा के अनेक जन्म लेने का और गभ्र जेल मे उतरने का.आत्म खुद अपने जंन्म निर्धारित करती है, कि इस इस स्थान पर, इन इन आत्माओं के साथ उसें आना है इसीलिए कहा जाता है बना बनाया ड्रामा.हमनऐ ही बनाया है अपनी इच्छा शक्ति (will power) के द्वारा , इसलिए इसे अच्छे से अच्छा निभाओ अच्छा पार्ट बजा के, ताकि पुरआनआ हिसाब चुक्तू भी हो जाए और नया अच्छा पार्ट भी भर जाए भविष्य के लिए इसिलिए चुकाते समय बढ़े ही प्यार से खुशी से हल्के होकर.यह नया रिकॉर्ड भरने का समय है तो अच्छा ही भरना चाहिए न. यह ईश्वरइय पढ़ाई नयी दुनिया के लिए है, नये संसकार भरने के लिए पढ़ाई है, और पढ़ाई से सुख भी मिलता है तो पद मिलता है. ऊँ शान्ति