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आत्मा निर्लेप नहीं है

  आत्मा निर्लेप नहीं है... जो खाते, जो बोलते, जो सोचते, हर बात का हिसाब बनता है अवश्य. रिकॉर्ड होता है सब कुछ, अपने पास ही लौट कर आता है, आत्मा सत है चैतन्य है, महसूस करती है ज़रूर गलत करने पर इसलिए कहते है स्वयं ही स्वयं पर रहम करो क्योंकि परमात्मा हमको सज़ा नहीं देता, हम खुद ही पश्चाताप करें बगैर स्वयं को माफ नहीं कर पाते,यहीं कारण होता है आत्मा के अनेक जन्म लेने का और गभ्र जेल मे उतरने का.आत्म खुद अपने जंन्म निर्धारित करती है, कि इस इस स्थान पर, इन इन आत्माओं के साथ उसें आना है इसीलिए कहा जाता है बना बनाया ड्रामा.हमनऐ ही बनाया है अपनी इच्छा शक्ति (will power) के द्वारा , इसलिए इसे अच्छे से अच्छा निभाओ अच्छा पार्ट बजा के, ताकि पुरआनआ हिसाब चुक्तू भी हो जाए और नया अच्छा पार्ट भी भर जाए भविष्य के लिए इसिलिए चुकाते समय बढ़े ही प्यार से खुशी से हल्के होकर.यह नया रिकॉर्ड भरने का समय है तो अच्छा ही भरना चाहिए न. यह ईश्वरइय पढ़ाई नयी दुनिया के लिए है, नये संसकार भरने के लिए पढ़ाई है, और पढ़ाई से सुख भी मिलता है तो पद मिलता है. ऊँ शान्ति

परमात्मा के विषय में जागरूकता

परमात्मा के  विषय में भ्रान्तियाँ:- सुख दुख वही देता है। वो चाहे तो किसी को राजा बना दे, वो चाहे तो किसी को रंक बना दे। यह कहकर हम अपने कर्मों की जिम्मेवारी से छूट जाते, चाहे पहले जन्मों की, चाहे अब श्रेष्ठ कर्म के जो पुराने खाते को खत्म कर सकते हैं उसकी। हम यह भूल जाते है की भाग्य लिखने की कलम कर्म है जो हमारे हाथ में है।वर्तमान श्रेष्ठ कर्मो में इतनी शक्ति है कि वह हमारे पिछले विक्रमी को दग्ध करने की शक्ति रखते है। एक मनुष्य आत्मा अथवा अन्य प्राणीयों में यही मुख्य अंतर है कि मनुष्य आत्मा विचारशील है, उसमें रचना करने की शक्ति है। मन को सुमन बनाना और बुद्धि को ऊंच श्रेष्ठ बनाना यह मनुष्य के अपने ही हाथ में हुआ। बुद्धि की निर्णय शक्ति और परख शक्ति के द्वारा हम चयन कर सकते है  कि जीवन में आने वाली परिस्थितियों मे क्या प्रतिक्रिया करें जिससे हम से कोई नये विकर्म न बनें। हमें परमात्मा ने ज्ञान दिया, श्रेष्ठ मत दी, कर्मों की गुहा गती समझाई। कर्म अ। कदम कदम पर हमें राह दिखाई। हमें दिव्य बुद्धि दी। सद् विवेक दिया। हमारा मार्ग निष्कंटक किया। हमें प्रत्यक्ष फल की प्राप्ति कराई। ह