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ज्ञान अपने पे लागू करना है

  ज्ञान अपने पे लागू करना है  जैसे अपेक्षा रखना और दुःखी होना गलत है। पर ये बात हमें. खुद पे लागू करनी है दूसरों पर नहीं। हम जानते अपेक्षा होना स्वभाविक है इसलिए हमें खुद को संमपन्न बनाना है और दूसरो की.अपेक्षाओं को पूरा ज़रूर करना है,सभी को सुखी और संतुष्ट करना है, स्नेह निभाना है ,अपना कर्तव्य  पूरा करना है। खुद को सम्पन्न  और संतुष्ट रख सकेगें तब दूसरों को कुछ दे सकेगें। अपेक्षा न रखने का भाव ये है कि जब दूसरों को देखने लगते तो अपनी शक्तियां भूल जाते.है ,भूल जाते है कि हमें देना है। दे तब पाएंगे जब अपने शुद्ध नशे में रहेंंगे। करते क्या.है अपना part और उससे होने वाली प्राप्ति भूल जाते है। सृष्टि चक्र के समय अनुसार अभी सभी को बड़ा ,ऊंच और महान बनना है,परमपवित्र और शुद्ध बनना है,ये भूल जाते है। कभी दूसरों को.बहुत छोटा और हीन देखते है और सोचते हम ही करने.वाले है ,हमारे बिना इनका काम नहीं चलेगा और ये सोच कर अभिमान में आ जाते है और उनका अपमान करने लगते. है,उन्हें नीचे.गिराने.लगते है। कभी दूसरों को बहुत बढ़ा देखने लगते है,कि ये बहुत सम्पन्न है ,हमें कुछ करने की ज़रूरत नहीं। अभी समय अनुसार सभी.
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दुआएँ

अपनो से जो स्नेह मिलता ,दुआएँ मिलती, वे अनमोल खज़ाना होती है जीवन का,उससे बढ़ कर कोई सुख नहीं होता दुनिया में।

सिर्फ ज्ञान पता होना काफी नही

सिर्फ ज्ञान पता होना काफी नही। उसे कब और किस विधी से,कितनी मात्रा में देना है यह भी जरूरी है जानना। ज्ञान बंधन काटने का शस्त्र है, न कि बांधने का। इससे किसी को कष्ट पहुंचाना, इसको misuse या abuse करना महापाप है।

माननीय बनना

मान मांगने से नहीं मिलता। लम्बा समय.श्रेष्ठ आचरण मनुष्य को माननीय बनाता है। सम्बंध में थोड़ा झुकना भी पड़ता है,अपनी मत छोड़नी भी पड़ती है।दूसरों को आगें करना भी होता है।निभाना भी पड़ता है।एक श्रेष्ठ. लक्षय को सामने रखना होता है। विश्व परिवर्तन, देवता बनना या महान कार्य की सफलता जिससे सभी प्रसन्नता और संतुष्टता का फल खाए।

सम्बंध अच्छे भी होते है

बच्चे कहते सम्बंध अच्छे भी होते है,सिर्फ दुख थोड़ेही देते है। बाप कहते. हां बच्चे जब एक ने कहा दूसरे ने.मानी दूसरे की बात का भाव ठीक.समझा। अपने को.राइट सिद्ध नहीं किया।जिद्द नहीं की।मान रख लिया किसी के कहने का।और अपने को आसानी से मोल्ड कर लिया तो दुआएं कमा ली सम्बंधों में एक दूसरे की,विश्वास जीत लिया दूसरे. का,अपनी जगह बना ली आपने दूसरों के दिलों में। उनका .स्नेह ,सहयोग पाने के अधिकारी बन गए आप। लेकिन अगर व्यर्थ बातें करते,आना कानी करते बात बात पे,बहानेबाजी करते,अपने को राईट सिद्ध करते,बढ़ा सिद्ध करते तो उससे समय वेस्ट गंवाते हो दूसरे का।

आत्मा का परमात्मा से दिव्य संवाद

बच्चे कहते है,हम सारा दिन बैठ कर थक जाते है. बाप कहते है,मै तुम्हें सब कुछ बैठे बिठाएं दूंगा,तुम्हें मेहनत करने की ज़रूरत नहीं। बच्चे कहते. है. मेहनत करने से सुख मिलता है,आत्मनिर्भरता.अच्छी लगती है। बाप कहते. है दुनिया बहुत गंदी है। बच्चे कहते है अच्छाई भी तो है दुनिया में,हम अच्छाई उठाएंगे। बाप कहते है उसके लिए तुम्हारी बुद्धि बहुत तीक्ष्ण चाहिए। बहुत ऊंची भावनाएं ,बहुत ऊंचे विचार,बहुत ऊंचे कर्म चाहिए। बच्चे कहते है.हां बाबा जो आपके गुण और शक्तियां है वही हमारी है,हम भी आपकी तरह बनेंगे। पर बच्चे तुम हो मेरी तरह,मेरे सभी titles आपके ही है। बच्चे कहते है हम उन्हें कर्म में लाकर अपनी और आपकी शान बढ़ाना चाहते है।हम अपनी खुद की पहचान बनाना चाहते है। हमारे कर्म से हम अपनी पहचान देना चाहते है। बाप कहते है ,बच्चे इस दुनिया बहुत दुख,धोखा है।भ्रष्टाचार,अन्दर बाहर एक नहीं है सब। बच्चे कहते है,हम अपना श्रेष्ठ कर्म करेंगे और हमें.देख दूसरे भी बदल जाऐंगें। बच्चे इसमें समय लगता है जो आत्माएं परिवर्तन हो और उनमें निश्चय बैठे। हां बाबा कोई हर्जा नहीं हम बीज डालते जाएंगें ,आप समय पर फल निकालना। हम अपेक्ष

वर्तमान समय प्रमाण सेवा का स्वरूप

  ये ऐसा है, वो वैसा है.. अरे  इसमें तुम्हारा क्या जाता, तुम्हें तो बाप को याद करना है. बुद्धि में पुराने संस्कारो की कोई खिट पिट नहीं कोई पद/पृतिष्ठा की दौड़ नहीं. सभी के लिए शुभ भावना, श्रेष्ठ कामना. मुक्ति जीवन मुक्ति की ऊंची स्थित, फरिश्ता जीवन अभी अभी यहाँ अभी अभी वहाँ.second  में जीवनमुक्त.बुद्धि सदा बेहद में स्थित.एक मेरा बाबा, एक मेरा बेहद लक्ष्य, दैवी गुणों से श्रृंगार.सरलता और निमार्णता. आज विश्व को क्या चाहिए, झूठे दिलासे सुन कर, बड़ी बड़ी लबार सुन कर सब थक गए है, सभी क्या चाहते अभी.. अनुभव. सुन चुके बहुत अभी देखना चाहते है जो दिल से निकले हमारे रक्षक, हमारे सहारे दाता,हमारे इष्ट आ गए.  दो मीठे बोल ,रूहानी दृष्टि , भासना देना, यह फास्ट गति की सेवा अभी सबको करनी है, इसमें कोई खर्चा नहीं मेहनत नहीं सिर्फ बुद्धि की पवित्रता और बाप से clear connection  चाहिए.